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‘मुस्लिम’ होने के साथ-साथ क्या ‘राजपूत’ भी हैं पाकिस्तान के अरशद नदीम? जानिए क्या है असली हकीकत.

अशरद नदीम मुस्लिम और राजपूत: अरशद नदीम ने पेरिस 2024 ओलंपिक में पाकिस्तान के लिए स्वर्ण पदक जीता। अरशद एथलेटिक्स में स्वर्ण जीतने वाले पाकिस्तान के पहले एथलीट बने। अब अरशद के बारे में कहा जा रहा है कि वह मुस्लिम होने के साथ-साथ ‘राजपूत’ भी हैं। तो क्या अरशद नदीम भी सच में राजपूत हैं? आइए जानते हैं इसके पीछे की असली हकीकत क्या है।

दरअसल, अरशद पाकिस्तान के सुखेरा राजपूत समुदाय से हैं। इसलिए अरशद सिर्फ मुस्लिम ही नहीं बल्कि राजपूत भी हैं. सुखेरा राजपूत वंश को सुखेड़ा भी कहा जाता है। अरशद पाकिस्तान के पंजाब मियां चन्नू के रहने वाले हैं।

सुखेरा एक पंजाबी मुस्लिम समुदाय है। इस समुदाय की उत्पत्ति पाकिस्तान के पंजाब से हुई जो तोमर राजपूतों की एक शाखा है। इस समुदाय के कई लोग आज भी पाकिस्तान में हरियाणवी भाषा बोलते हैं।

आपको बता दें कि राजपूत राजवंश या सुखेरा भारत के सबसे बड़े राजपूत समुदाय की एक शाखा है, जिसे डोडिया राजपूत राजवंश के हिस्से के रूप में जाना जाता है। कई सौ साल पहले इस समुदाय के लोगों ने इस्लाम अपना लिया था, लेकिन अपनी राजपूत पहचान बरकरार रखी थी. पाकिस्तान के अरशद नदीम भी इसी समुदाय से हैं. अरशद के परिवार की उत्पत्ति रावत प्रताप सिंह डोडिया से मानी जाती है। रावत प्रताप सिंह डोडिया सुखेरा राजपूत वंश के पहले रावत थे। कहा जाता है कि मुगल बादशाह के काल में सुखेरा राजपूतों ने इस्लाम धर्म अपना लिया था।

अरशद ने ओलिंपिक रिकॉर्ड के साथ गोल्ड जीता

गौरतलब है कि अरशद नदीम ने भाला फेंक स्पर्धा में ओलंपिक रिकॉर्ड बनाकर स्वर्ण पदक जीता था. अरशद ने 97.92 मीटर भाला फेंका था, जो ओलंपिक रिकॉर्ड बन गया. अरशद पाकिस्तान के लिए व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण जीतने वाले पहले पाकिस्तानी बने। इस स्पर्धा में भारत के नीरज चोपड़ा ने रजत पदक जीता। नीरज ने 89.45 मीटर पर भाला फेंका था, जिसके बाद वह दूसरे स्थान पर रहे।

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