क्रिकेट का सबसे बड़ा रहस्य: हैरी ली: क्रिकेट का खेल सदियों पुराना है, जिसमें खिलाड़ी अक्सर जानलेवा चोटों से उबरकर मैदान पर वापसी करते हैं। इसका ताजा उदाहरण भारतीय क्रिकेटर ऋषभ पंत हैं, जिनकी कार दिसंबर 2022 में भयानक दुर्घटना का शिकार हो गई थी। डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था, लेकिन पंत की क्रिकेट खेलने की जिद उन्हें फिर से मैदान पर खींच लाई। युवराज सिंह ने कैंसर को मात दे दी है, लेकिन क्या आपने कभी ऐसा सुना है कि किसी खिलाड़ी को मृत घोषित कर दिया गया हो और फिर 15 साल बाद वही क्रिकेटर अपने देश के लिए खेलता नजर आया हो?
दरअसल ये कहानी है इंग्लिश क्रिकेटर हैरी ली की, जिनका जन्म 26 अक्टूबर 1890 को हुआ था. वो कभी अपने पिता के साथ फल बेचने का काम करते थे. कुछ समय बाद उन पर क्रिकेट का जुनून सवार हो गया, इसलिए 1911 में वे मिडलसेक्स काउंटी क्लब में शामिल हो गए। इस दौरान उन्होंने लॉर्ड्स मैदान पर 139 रनों की शानदार पारी भी खेली, लेकिन उन दिनों प्रथम विश्व युद्ध अपने शुरुआती दौर में था और गलतफहमी के बावजूद हैरी को लंदन से रेजिमेंट की 13वीं बटालियन का हिस्सा बनना पड़ा.
1915 में मृत घोषित कर दिया गया
1915 में ओबर्सरिज की लड़ाई में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उनकी बटालियन के 550 सैनिकों में से 499 की मृत्यु हो गई। लेकिन सच तो ये है कि गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद हैरी ली अपनी जान बचाने में कामयाब रहे. उस समय हैरी तीन दिनों तक लापता था, लेकिन तीन दिनों के बाद उसे ढूंढ लिया गया और तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया।
डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए
जब हैरी ली को अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टरों ने साफ कर दिया कि वह दोबारा सेना में शामिल नहीं हो पाएंगे या क्रिकेट नहीं खेल पाएंगे. लेकिन ली के अंदर एक जुनून था, जिसके चलते उन्होंने मृत घोषित होने के बाद अगले साल यानी 1916 में फिर से प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया। कुछ समय बाद उन्होंने भारत आकर क्रिकेट और फुटबॉल कोच के रूप में काम किया और इस दौरान उन्होंने भारत में प्रथम श्रेणी मैचों में एक खिलाड़ी के रूप में भी खेला।
युद्ध ख़त्म होने के बाद वह इंग्लैंड लौट आये जिसके बाद उन्हें फिर से मिडलसेक्स के लिए खेलते हुए देखा गया। 1931 में उन्हें 40 साल की उम्र में इंग्लैंड के लिए डेब्यू करने का मौका मिला। हैरी ली ने 1931 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ एक टेस्ट मैच खेला था, जिसमें उनके बल्ले से पहली पारी में 18 रन और दूसरी पारी में सिर्फ एक रन ही बन पाया था. दुर्भाग्य से, अनुबंध विवाद के कारण उन्हें कभी टेस्ट कैप नहीं मिली।
यह भी पढ़ें:
IND vs BAN: 150 की रफ्तार वाले गेंदबाजों को चुनौती, बांग्लादेश ने इस तरह बढ़ाई टीम इंडिया की चिंता